3 Moral Stories for Kids in Hindi – Moral stories in Hindi

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Moral Stories for Kids in hindi –  1. वाणी की शक्ति

        मेंढ़कों का एक झुंड जंगल से होकर गुज़र रहा था, कि उसमे से दो मेंढ़क एक गहरे गइढे में गिर गए|

सारे मेंढ़क गड्ढे के आस-पास खड़े हो गए|

जब उन्होंने देखा कि कितना गहरा गड्ढा है तो उन्होंने दोनों मेंढ़कों से कहा कि अब उनका बचना मुश्किल है।

दोनों मेंढ़कों ने उनकी बातों को नजरअंदाज किया और कूद कर वहाँ से बाहर निकलने की कोशिश करते रहे।

बाकि मेंढक उन्हें कहते रहे की कोशिशें अब बेकार हैं और उनका मरना तय हैं।

आख़िरकार एक मेंढक ने उनकी बात मान ली और हार मान ली| वह नीचे गिरा और मर गया|

दूसरा मेंढ़क पूरी ताकत से कूदता रहा| मगर फिर बाकि मेंढकों ने उसे कोशिश करके अपना दर्द बढ़ाने की बजाय मर जाने की सलाह दी|

उसने और भी ताकत से छलांग लगाई और इस बार बाहर निकल गया|

जब वह बाहर निकला दूरसे मेंढकों ने कहा, “तुम्हे क्या हमारी आवाज़ सुनाई नहीं दे रही थी?”

मेंढ़क ने समझाया कि वह बहरा है। पूरे समय वह यह ही समझता रहा कि वे उसे प्रोत्साहित कर रहे हैं।

सीखने योग्य सबक:

  1. जुबान में जीने-मारने की ताकत होती है। कोई जो हताश हो, प्रोत्साहन के चंद शब्दों से खिल सकता है और अपना दिन खुशी से जी सकता है।
  1. जब कोई हताश हो तो अनुचित शब्द उसे मौत की ओर धकेल सकते हैं। सोच कर बोलें।

मुश्किल समय में ज़िन्दगी से उसकी चमक छीननेवाले शब्द तो बहुत लोग बोल सकते हैं।

ख़ास वो है जो दूसरों को आगे बढ़ाने के लीये, दूसरों को प्रेरित करने के लीये वक़्त निकाले|

” ऐसी वाणी बोलिए मन का आपा खोय औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय।”

अथार्थ – ऐसी वाणी में बात करो की औरों के साथ-साथ स्वयं के मन को भी खुशी मिले।

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Moral Stories for Kids in hindi –  2. जैसा बोओगे वैसा पाओगे

एक पिता और बेटा पहाड़ों में सैर कर रहे थे| तभी बेटा गिर पड़ा और  उसको चोट लग गई और वो ज़ोर-ज़ोर से रोने लगा

“आआआआ!!”

वो हेरान हुआ  जब उसने अपने रोने की आवाज़ पहाड़ों से वापस आती सुनी “आआआआ!!!”

उत्सुक होकर उसने चिल्ला कर पूछा: “कौन हो तुम?”

जवाब आया: “कौन हो तुम?”

जवाब सुन कर वो क्रोधित हो गया, और चिल्लाया: “कायर!”

तुरंत जवाब आयाः “कायर!”

उसने अपने पिता से पूछा: “ये क्या हो रहा है?”

पिता ने मुस्कुराकर जवाब दिया: “मेरे बेटे, ध्यान से सुनो”

और तब उसने पहाड़ों को जोर से कहा: “मैं तुम्हारी सराहना करता हूँ।”

आवाज़ आई: “मैं तुम्हारी सराहना करता हूँ!”

पिता फिर चिल्लाए, “तुम एक चैंपियन हो!”

जवाब आया: “तुम एक चैंपियन हो!”

लड़का हैरान था मगर कुछ समझ नहीं पा रहा था|

तब उसके पिता ने उसे कहा: “लोग इसे गूँज कहते हैं मगर असल में ये ज़िन्दगी है|

वो तुम्हे वही सब देती है जो तुम कहते और करते हो| हमारी ज़़िन्दगी हमारी करनी का आइना है।

अगर तुम दुनिया में और प्यार चाहते हो, तो अपने दिल में और प्यार पैदा करो|

ज़िन्दगी तुम्हे वह सब देगी जो तुम उसे दोगे|”

Moral Stories for Kids in hindi  –  3.  क्रोध

एक बार एक लड़का था जो गुणी, कलाकार, दिखने में अच्छा और बहुत बुद्धिमान  था|

मगर वह बहुत स्वार्थी और गुस्सैल भी था|

जब उसे गुस्सा आता, वह बहुत ख़राब चीजें बोलता और करता इतना कि उसके आसपास कौन है इसका भी लिहाज़ नहीं रखता था| अपने दोस्तों का भी नहीं|

इसलिए उसके दोस्त भी कम थे|

जैसे-जैसे वह बड़ा होने लगा उसके माता-पिता को उसके व्यवहार से चिंता होने लगी और वे सोच में पड़ गए कि क्या करें|

आख़िरकार, उसके पिता को एक तरकीब सूझी| और उन्होंने अपने बेटे से एक सौदा किया उन्होंने उसे कीलों का एक थैला और एक बड़ा सा हथोड़ा दिया|

उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूँ कि जब भी तुम्हे गुस्सा आए तो घर के बाहर जो बडा वृक्ष हे उसमे पूरी ताकत से एक कील गाड़ देना!”

एक दिन के अंत तक लड़के ने उसमे 37 कीलें गाड़ दीं थीं (ये निश्चित ही एक गुस्सैल लड़का था!)

धीरे-धीरे, कुछ हफ्ते बीत जाने पर ये संख्या घट गई।

फिर एक दिन आया जिस दिन लड़के ने एक बार भी गुस्सा नहीं किया

उसने गर्व से जाकर अपने माता-पिता को ये बात बताई।

पिता ने कहा, “तुम्हारी कामयाबी के लिए तुम एक कील निकाल सकते हो|

ये तुम हर उस दिन कर सकते हो जिस दिन तुम गुस्सा नहीं करोगे”

कई हफ्ते बीत गए| आखिरकार, एक दिन लड़के ने आकर गर्व से बताया कि अब वृक्ष में एक भी कील बाकि नहीं है।

पिता ने कहा, “तुमने बहुत अच्छा काम किया है बेटे मगर मैं चाहता हूँ तुम वो छेद देखो जो रह गए हैं।

अब चाहे जो हो जाए, वृक्ष कभी पहले जैसा नहीं रहेगा |

गुस्से में कही और करी बातें भी ऐसे ही निशान छोड़ जाती हैं। दाग हमेशा रह जाता है।

अब तुम कितनी भी दफा माफ़ी मांगो, कितने भी साल बीत जाएँ, दाग रह जाते हैं।

और बातों की चोट भी हाथों की चोट जितना ही दर्द देती है।

लोग हमारी मुस्कान, हमारी कामयाबी का कारण बनते हैं।

कुछ हमारे दोस्त बन कर हमारी खुशियों और दुःख में हमारे साथ होते हैं।

इसका अर्थ है हमे सबको प्यार और इज्ज़त से रखना चाहिए|

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